अपशिष्ट प्रबंधन क्या है

पहले हम यह , समझ लेते हैं की अपशिष्ट प्रबंधन क्या है। अपशिष्ट प्रबंध में अपशिष्ट को प्रबंधित करने से लेकर उसके अंतिम निपटान तक की गतिविधि और क्रियाओं को शामिल किया जाता है। इसमें कचड़े का संग्रह परिवहन उपचार और निपटान शामिल है।

अपशिष्ट क्या होते हैं

अपशिष्ट वह वस्तु है, जिसका निर्माण मनुष्य द्वारा किया जाता है ।जो पर्यावरण को दूषित करने का सबसे महत्वपूर्ण अंग बन गया है और इसे प्रकृति द्वारा नष्ट भी नहीं किया जा सकता । यह बहुत समय तक पर्यावरण में मौजूद रहता है ।यह पर्यावरण को और उसमें रहने वाले जीव जंतु को बहुत प्रभावित करता है। उदाहरण के रूप में प्लास्टिक बोतल , प्लास्टिक बैग और प्लास्टिक की अन्य वस्तुएं ।

क्या आप जानते हैं

  1. फिलिपिंस में एक ऐसा स्कूल है जो प्लास्टिक की बोतलों से बना हुआ है । इस स्कूल को बनाने में 90,000 प्लास्टिक की बोतलों का प्रयोग किया गया है और यह प्लास्टिक की बोतल , उस स्कूल में पढ़ रहे छात्रो के घर से प्राप्त की गई है, जो कि अपशिष्ट पदार्थों का एक उचित प्रयोग या प्रबंधन है।
  2. क्या आप यह भी जानते हैं ,एडिडास जो एक ब्रांडेड कंपनी है उसके जूते समुंदर से प्राप्त कचड़े से बनाए जाते हैं ।जिससे समुंद्र की सफाई भी हो जाती हैं और उस कचरे से अच्छी आय भी प्राप्त हो रही है।
  3. भारत में सिर्फ 1 साल में 18.5 लाख-लाख टन कचरा पैदा होता है जोकि एक बहुत चिंताजनक मुद्दे के रूप में उभर कर आया है।

अपशिष्ट प्रबंधन कैसे करें

अगर पर्यावरण को बचाना है। तो हमें अपशिष्ट पदार्थ जैसे कि प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक बोतल आदि का कम प्रयोग करना होगा और जहां तक हो सके प्लास्टिक बैग का दोबारा दोबारा इस्तेमाल करें ताकि प्लास्टिक से बने हुए चीजों का कम प्रयोग हो सके और अपना पर्यावरण संरक्षण में छोटा सा योगदान डाल सके। अगर हर मनुष्य प्लास्टिक का प्रयोग कम कर देगा तो वह पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अपना योगदान देगा नहीं तो एक दिन पर्यावरण इतना दूषित हो जाएगा ,कि वहां रहना ही असंभव सा प्रतीत होगा। परंतु आजकल हर वस्तु प्लास्टिक के बैग में मिलती है जिसका प्रयोग हम अलग-अलग चीजें बनाने में कर सकते हैं क्योंकि अगर प्लास्टिक की वस्तु फेंक दी जाए तो यह पृथ्वी में अपने आप को गला नहीं पाते ।। भारत में कई ऐसे स्थान है जहां अपशिष्ट पदार्थों से कई कीमती वस्तु का निर्माण किया जाता है जो कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने में एक उचित कदम है।

भारत में इतना कचरा पैदा होता है कि उसमें से कचड़े का कई भाग नदियों तालाबों में बहा दिया जाता है जिसके कारण जलीय जीव की भी कमी हो रही है और कई जल जीव इस प्रदूषित जल के कारण लुप्त भी हो रहे हैं । इसलिए जहां तक हो सके कृपा करके प्लास्टिक का और अपशिष्ट पदार्थों का प्रयोग कम से कम करें और एक प्लास्टिक बैग का दोबारा प्रयोग करें ताकि अपशिष्ट पदार्थ कम हो और इसका निपटारन भी अच्छे से हो सके।

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