सदियों से यह मान्यता हैं कि पेड़- पौधे लगाना अर्थात अपना जीवन स्वयं बचाना। प्राचीन समय में जब ज्यादा शहर नहीं बसे थे, तो लोग अपने लिए अपने घर में ही खेती किया करते थे और अपने परिवार की जरूरत के अनुसार सारी सब्जी और फल घर में ही उगा लेते थे । लेकिन समय के बीतने और महानगरों के बनने के साथ यह कार्य सीमित होता गया, लेकिन बढ़ते प्रदूषण और बीमारियों के चलते लोगो ने घर में ही गृहवाटिका लगाना शुरु कर दिया।
गृहवाटिका अर्थात अपने घर में अपने लिए खेती करना। आजकल शहरों में ये ट्रेंड की तरह अपनाया जा रहा है, तो कहीं कुछ लोग इसे शौक की तरह देखते हैं। जिस प्रकार बीमारियाँ फैलती जा रही हैं और कैंसर जैसी भयानक बीमारी अधिक लोगो को घेर रही हैं ऐसे में घर में ही खेती करना जरूरी हो जाता हैं, इसीलिए लोगो ने परिवार के लिए घर में ही फल- फूल और सब्जी उगाना शुरू कर दिया हैं। इसके जरिए लोगो को पौष्टिक फल सब्जी घर पर ही मिल जाती हैं, जिससे बाहर जाकर बाजार से खरीदने की जरूरत नही होती। साल भर की सब्जी एक ही बाग में उगाई जा सकती हैं। गृहवाटिका का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम बाहर की बासी सब्जी से बच सकते हैं, क्योंकि आज-कल सब्जियों को गलत तरीके अपनाकर जल्दी बड़ा करके बाजार में बेचा जाता हैं और लोगो की जिंदगी को खतरे में डाला जाता हैं।
गृहवाटिका के लिए सबसे पहले ऐसी जगह ढूंढी जाती हैं जिसमें अपने अनुसार अलग-अलग सब्जी तथा फल उगाये जा सके। फिर ऐसी जगह देखे जहाँ से हमारे पौधों को सूर्य की रोशनी प्राप्त हो सके, तथा ऐसी मृदा जिसमें हम अलग प्रकार के पेड़- पौधे उगा सके । अगर कम जगह है तो अपनी छत पर या गमलों और टीन के डिब्बों में भी पौधे लगा सकते हैं। इसमें छोटे पौधों की खेती भी बहुत बहुत होती हैं जिसे ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होतीं, बस इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता हैं की हमारे पेड-पौधों को सूर्य की रोशनी पूरी तरह मिल सके।
गृहवाटिका में दूसरी महत्वपूर्ण ध्यान देने वाली चीज हैं की जल की मात्रा, अगर अपने पेड़- पौधे को सही मात्रा में जल दिया जाए तो वह ठीक प्रकार से उग पाएंगे। बहुत ज्यादा मात्रा में या बहुत कम मात्रा रखने से ये पौधों के लिए हानिकारक हों सकता हैं। अपने पेड़-पौधे में जल देने के लिए आप अपना घर का इस्तेमाल हो चुका जल भी प्रयोग कर सकते हैं, जैसे- आरो का बचा हुआ पानी पौधों में डालने के काम आ सकता हैं।
गृहवाटिका के लिए बीज या खाद खरीदने के लिए भी बाहर जाने की जरूरत नहीं होती हैं, आप अपने घर के बचे सब्जी- फलो के बचे छिलके कागज का कूड़ा, बची चाय-पत्ती का कूड़ा आदि सभी को मिलाकर घर में ही खाद बना कर उपयोग कर सकते हैं। इससे मिट्टी की उपजाऊ शाक्ति बढ़ेगी तथा मिट्टी में कीड़े ना हो इसके लिए नीम के सूखे पत्ते डालकर उसे तैयार किया जाता हैं।
गृहवाटिका के लिए ऐसी ही मिट्टी का चुनाव किया जाए जिसमें सही तरह की सारी सब्जी और फल उगाये जा सके। सबसे पहले अपने परिवार की जरूरत और पसंद के अनुसार सब्जी और फलो का चुनाव किया जाए तथा उसके बीज डालकर उसी को उगाना चाहिए।
मौसम के अनुसार फल- फूल और सब्जियां उगाई जा सकती हैं, सिर्फ इस चीज पर ध्यान पर देना होता हैं की किस प्रकार के पौधे या पेड़ पर कैसे ध्यान दिया जाए। गृहवाटिका में आप धनिया, पुदीना ,मिर्च, चना, मटर, टमाटर, गोभी, बैंगन, पत्ता गोभी, करेला, घिया आदि और भी तरह की आसान सब्जी उगाई जा सकती हैं। गृहवाटिका में सिर्फ सब्जी और फल- फूल ही नही बल्कि औषधीय पेड़-पौधे भी उगाये जा सकते हैं और इससे घर की वायु भी शुद्ध और सुगंधित हो जाती है, घर के लोग बीमारियों से मुक्त रहते हैं अतः घर में कम से कम पाँच पौधे जरूर लगाने चाहिए, जिससे आप खुद को स्वस्थ भी रख सके। गृहवाटिका तकनीक अब पूरी दुनिया में बहुत देशों में अपनाई जाने लगी है। गृहवाटिका के लिए ये कहना गलत नहीं होगा कि यह एक तरीका है जिसके जरिये हम अपने स्वास्थ्य का स्वयं ध्यान रख सकते हैं।
हरित गृह