राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मानव व प्राकृतिक कल्याणकारी गतिविधि पर्यावरण संरक्षण के निमित आज चर्चा करेंगे भीलवाड़ा राजस्थान के श्याम सुंदर राठौड़ जी की। आप पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और वर्तमान में स्वंय के साफ्टवेयर कम्पनी व व्यवसाय के साथ आप पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सेवा प्रकल्पों में सक्रिय है।
आप विगत 10 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण की ओर आकर्षित है और इसकी पहल हरित गृह निर्माण कर स्वंय अपने घर से शुरू करके अपने क्षेत्र में कई परिवारों तक पहुँचाने में सफल भूमिका निभाई है। हरित गृह वैसे तो कोई नई परिकल्पना है नहीं लेकिन आज की डिजिटलाइजेशन वाली दुनिया में इसके स्वरूप में कुछ बदलाव किए है जिसमें 5 स्टार रेटिंग पर –
- घर का पानी घर में ( जल संरक्षण)
- पंचवटी ( वृक्षारोपण )
- घर का कचरा घर में ( स्वच्छता/रिसाइक्लिंग )
- ऊर्जा बचत ( तापमान/सौर ऊर्जा )
- पक्षी घर ( वन्य प्राणी संरक्षण )
को लेकर काम किया जा रहा है।
आपकी माने तो आज के दौर में में इकोफ्रेंडली को ऑप्शनल की बजाय इम्पोर्टेंट मानने की आवश्यकता है। आज वो स्थिति आन पड़ी है जब हम प्रकृति को कुछ लौटाये लेकिन कुछ लोगों में भ्रांति है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भारी मात्रा में धन खर्च करने की आवश्यकता होती है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। हम बिना दिखावे के भी एक सामान्य उपक्रम व योजना से हरित गृह निर्मित/संचालित कर सकते है। और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं।
- जल ही जीवन है इसलिए इसके दोहन को रोकने के लिए हमें आगे आना होगा जिसमें हम रसोई से निकलने वाले पानी का उपयोग बगीचे में करके,फर्श व वाहनों को धोने की बजाय गीले कपड़े से साफ कर, टॉयलेट फ्लैश में पानी की मात्रा को सीमित करके, दैनिक गतिविधियों में जल के दोहन को रोककर, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से वर्षा जल के उपयोग से जल संरक्षण में योगदान दे सकते है।
- हमें प्रकृति से शुद्ध हवा आक्सीजन के रूप में मिलती है हम अपने आंगन/फ्लेट में कम से कम 5 पौधे किसी पात्र में लगाकर पंचवटी के रूप में प्रकृति के हमारे उस ऋण को कम करने का प्रयास तो कर ही सकते है।
- ऊर्जा बचत के लिए हम सोलर पैनल का उपयोग कर सकते है लेकिन अगर उसकी लागत अधिक है तो उसके एवज में हम कार्यस्थल/घर पर बिजली के अनावश्यक स्विच ऑफ रखकर भी ऊर्जा की बचत कर ही सकते है। क्योंकि हम आज के समय में हम काफ़ी मात्रा में बिजली का दोहन अज्ञानतावश कर रहे है। बेहतर है वह बिजली किसी महत्वपूर्ण स्थान पर काम आए।
- हम घर से निकलने वाले कूड़े कचरे का निपटारा गीले-सूखे के रूप में अलग करें। गीले कचरे से घर में ही खाद बना कर व सूखे कचरे का रिसाइकिल कबाड़ी वाले को देकर कर सकते है जिससे हमारा आर्थिक पक्ष भी मजबूत होता है। साथ ही ‘इको ब्रिक्स’ जैसे रचनात्मक प्रयोगों को भी उपयोग में ला सकते है। जिससे प्लास्टिक बैग से होने वाली पशुधन की हानि भी कम होगी।
- घर में पेड़ पौधों व पशु-पक्षियों की मौजूदगी सकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन करती है। इस लिहाज से हम हमारे बगीचों,पार्किंग,रोशन दानों या छत पर पक्षी घर बना सकते है जो अपने आप में पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कर्म है।
- घर में थोड़ा स्थान मिलने पर भी हम किचन गार्डन या रसोई की बगीया का निर्माण कर सकते है।
इस तमाम कार्यों के लिए हमें कोई धन अलग से व्यय करने की आवश्यकता नहीं होती है अपितु यदि हम हरित गृह के माध्यम से इन्हें प्रयोग में लाते है तो हमारे फूलों,सब्जियों,खाद,माली,जिम,बिजली बिल,इत्यादि खर्च में कमी कर सकते है। साथ ही घर में पड़ी अनावश्यक वस्तुओं का भी उपयोग सही ढंग से बेहतर कार्य में हम कर सकते है।
अतः आज की स्थिति में यह महत्वपूर्ण हो गया है कि मानव स्वयं के सुख से पहले प्रकृति के घटकों व उनके संरक्षण के लिए जागरूक बनें। इसी जागरूकता के उद्देश्य से पर्यावरण संरक्षण गतिविधि का शुभारंभ भी किया गया है ताकि एक स्वस्थ व बेहतर पर्यावरण से पुनः घर-घर को सजाया जा सके।
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कुलदीप नागेश्वर पवार ( पत्रकार )
पत्रकारिता भवन इंदौर