बदलते समय और बढ़ती जनसंख्या में संसाधनों की बढ़ती माँग के साथ प्राकृतिक संसाधनों पर भी खतरा बढ़ता जा रहा हैं

तो ऐसे समय में जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण कदम बन जाता हैं, यह इतना महत्वपूर्ण संसाधन हैं जिसे बचाने की जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की बनती हैं,,क्योंकि हर मनुष्य द्वारा बचाया गया जल केवल उसके नहीं बल्कि उसके आगे आने वाली पीढ़ी के लिए भी जरूरी हैं। जिस प्रकार विज्ञान में विस्तार में मनुष्य आगे बढ़ रहा हैं, उसी प्रकार वह प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध प्रयोग के साथ उसे दूषित भी कर रहा हैं । फैक्टरियों द्वारा कूड़ा सीधा नदियों में डालना या पूजा-पाठ के नाम पर समान नदियों में फेंकना इसी का उदाहरण हैं इस प्रकार की गतिविधियों से जल तो प्रदूषित होता ही है बल्कि उसका उपयोग करने वाले जीव-जन्तु भी प्रभावित होते हैं।

रोजमर्रा की जिंदगी में अगर हर मनुष्य कुछ लीटर पानी को बचाने की कोशिश करें तो यह भविष्य के लिए एक सही कदम हो सकता हैं, सफाई के लिए कपड़े और बर्तन को धोने के बाद बचा पानी इस्तेमाल किया जा सकता हैं जा सकता हैं, चावल और दालों को धोने के बाद बचा पानी पौधों में डालने के काम आ सकता हैं ।

राजस्थान में छतो पर वर्षा का पानी इकट्ठा कर उसे इस्तेमाल में लाना अच्छा उदाहरण हैं, जापान में इस्तेमाल हो रही प्रद्योगिकी जिसमें हाथ धोने के बाद पानी अगले फ्लेश के काम आता हैं तथा सिर्फ हवा से कपड़े धोने वाली मशीन जल बचाव का अच्छा उदाहरण हैं ।

सरकार को विद्यालयों में बच्चों को जल संरक्षण पर शिक्षा देनी चाहिए क्यूँकि आज की पीढ़ी ही कल का भविष्य हैं तथा हमारी तरफ से उठाया गया एक छोटा कदम भी भविष्य में बड़ा असर दिखायेगा ।

खेतों में उन सभी तरीकों और तकनीकों का इस्तेमाल बंद किया जाना चाहिए जिससे जल की ज्यादा बर्बादी होतीं हैं, हमें हर दिन कोशिश करनी चाहिए की हम अपने रोजमर्रा के इस्तेमाल से कुछ लीटर पानी कम उपयोग करें।

जल संरक्षण की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि हर इंसान की बनती हैं ,अगर हम अपने आगे आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य देना चाहते हैं तो अपनी जिम्मेदारी आज से उठानी होगी ,तथा अपने पूर्वजों से मिले संसाधन को सही प्रकार उपयोग करके अपने आगे आने वाली पीढ़ी को सोपना होगा, लोगों का मानना होता हैं की किसी एक के करने से कुछ नहीं होगा इस वक़्त सोच को बदलने का समय आया हैं तथा ये समझने और समझाने का की आज एक इंसान के द्वारा भी उठाया कदम 100 लोगों को बचा सकता हैं क्योंकि जल संरक्षण का अर्थात अपना जीवन स्वयं बचाना।

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