उत्तर पश्चिम दिल्ली में स्थित भलस्वा झील जो कभी वाटर स्पोर्ट्स के लिए मशहूर थी, वह अब प्रदूषण और गंदगी के लिए बदनाम है। यह झील मूल रूप से घोड़े के नाल के आकार की थी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसका आधा हिस्सा लैंडफिल क्षेत्र के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। बता दें कि करीब 150 एकड़ में फैली भलस्वा झील राष्ट्रीय राजधानी में सबसे बड़े जल निकायों में से एक है।

भलस्वा झील को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ‌ने 21 मई 2021 को एक बहुत ही ज़रूरी फैसला लिया है। एनजीटी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को एक बैठक बुलाने और भलस्वा झील को प्रदूषण और अतिक्रमण से बचाने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मुख्य सचिव को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम और उत्तर दिल्ली नगर निगम के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाने और समस्या को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करने का आदेश दिया।

साथ ही एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को समय-समय पर झील के पानी की गुणवत्ता की जांच करने और इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि कानून का काम जल निकायों को उनके मूल अवस्था में बनाए रखने का है। जल निकाय महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय कार्य करते हैं। वह न केवल सौंदर्य बढ़ाते हैं, बल्कि जल संरक्षण, जलीय जीवन और जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि स्वच्छ पर्यावरण लोगों के जीवन जीने के अधिकार के साथ ही राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का भी हिस्सा होना चाहिए।

-अंकिता पाण्डेय

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *